हज़ारों आये और लाखों मार खाके भाग गये ,
या मर गए या मिट गए ,
भारत की पावन भूमि पर जान लो मेरे दोस्तों ,
पापी न टिक पाएं हैं न टिक पायेंगे |
संहार पापियों का इस पवित्र भूमि पर सदा ही हुआ है ,
महिषासुरमर्दिनि के हैं हम वंशज, पाप कहाँ यहां टिक पाया है ,
देवों की इस भूमि पर जिसने शैतान का सहारा लिया है ,
वह मर गए मिट गए, नमो निशाँ न उनका बच पाया है |
माँ है मेरी दुर्गा, भारत है मेरी मातृभूमि ,
न कर उनके खिलाफ कुछ भी ऐ शैतान के पुजारी ,
अपनी मौत को तूने खुद ही है बुलाई ,
जब जंग के लिए तूने हमें है दी ललकारी |
हमारे रगों में खून है आज़ाद का, भगत सिंह का ,
डर नहीं हमारे मन में नीच पापी भेड़ियों का ,
भूत पिशाच भी डरते हैं हमसे ऐ नादान ,
तू तो बस है उनका छोटा सा एक ग़ुलाम |
जो तलवार रहती है मयान में न समझ उसे भौंथरा ,
एक ही वार में सिर कलम करेगा वह तेरा ,
शांति और सहिष्णुता को मत समझ निर्बलता ,
वीर ही सह सकता है दर्द, वह नहीं चिल्लाता |
टूट गया है अब धीरज का हर बाँध,
जब खुनी दरिंदों ने बोले अपशब्द मेरी माँ के नाम ,
तुम नीच क्या टुकड़े करोगे मेरी भारत माँ के,
अंग्रेजों ने कोशिश की, उन्हें भगा दिया हमने मारके |
तुम भी मुंह की खाओगे अब, जिनका पेशा है दलाली,
जिस मुंह से ऊगली है अकथनीय गंदगी ,
दी है अपनी ही मातृभूमि को गन्दी गाली,
उसी से आएँगी अब खून की उल्टियाँ मव्वाली |
तुम्हारे रगों में खून नहीं इंसान का,
भरा हुआ है ज़हर गद्दार कपटियों का,
पिया नहीं है दूध तुमने माँ का कभी,
पले बढ़े हो नमकहरामी के दलदल में ही |
संभल जा सुधर जा भाग ले दुम दबाके,
मौत आई है तुम्हारी अब ज़ोर लगाके,
बहुत देर तक धरा है धीरज अच्छाई ने सांस रोकके,
लेकिन अब वक़्त आया गया है पापियों के जड़ों को उखाड़ने के।
अब नहीं बचेगा कोई भी पापी कोई भी देशद्रोही,
अपनी माँ का ही अपमान करने वाले नीच प्राणी,
लागलो अपनी सारी ताकत तुम इंसानी मुखौटे के राक्षसों ,
हर युग में हुआ है तुम्हारा ही संहार यह याद रखो |
न तोड़ पाया है कोई भारत को हज़ारों सालों में ,
कोशिश की है इतिहास में बहुत सी दुष्ट ताकतों ने ,
दिखाने अपनी ताकत, फ़ौज लेकर आये, बंदूकें भी चलायीं ,
पर कोई भी नहीं टिक पाया सबने मुंह की खायी |
सीख ले कुछ इतिहास से ही ऐ मूर्ख ,
अब तेरी बारी है पीटने की ऐ धूर्त ,
मिटटी में तू मिल जाएगा तेरा नमो निशाँ न बचेगा ,
भारत माँ के खिलाफ उठा हर सिर कट के गिर जायेगा |
रावण मरा राम के हाथों, कृष्ण ने मिटा दिया कंस को ,
मेरी माँ महिषासुरमर्दिनि के आगे क्या टिकेगा वह महिषासुर ,
अपने बच्चों की रक्षा के लिए मिटा देती है वह हर पापी ,
फिर तुम्हारी क्या? तुम तो छोटे प्यादे हो|
विनाशकाल में विपरीत बुद्धि के मारे हो।
जय हिन्द
जय माँ महिषासुरमर्दिनि
जय जगदम्ब जय दुर्गे
या मर गए या मिट गए ,
भारत की पावन भूमि पर जान लो मेरे दोस्तों ,
पापी न टिक पाएं हैं न टिक पायेंगे |
संहार पापियों का इस पवित्र भूमि पर सदा ही हुआ है ,
महिषासुरमर्दिनि के हैं हम वंशज, पाप कहाँ यहां टिक पाया है ,
देवों की इस भूमि पर जिसने शैतान का सहारा लिया है ,
वह मर गए मिट गए, नमो निशाँ न उनका बच पाया है |
माँ है मेरी दुर्गा, भारत है मेरी मातृभूमि ,
न कर उनके खिलाफ कुछ भी ऐ शैतान के पुजारी ,
अपनी मौत को तूने खुद ही है बुलाई ,
जब जंग के लिए तूने हमें है दी ललकारी |
हमारे रगों में खून है आज़ाद का, भगत सिंह का ,
डर नहीं हमारे मन में नीच पापी भेड़ियों का ,
भूत पिशाच भी डरते हैं हमसे ऐ नादान ,
तू तो बस है उनका छोटा सा एक ग़ुलाम |
जो तलवार रहती है मयान में न समझ उसे भौंथरा ,
एक ही वार में सिर कलम करेगा वह तेरा ,
शांति और सहिष्णुता को मत समझ निर्बलता ,
वीर ही सह सकता है दर्द, वह नहीं चिल्लाता |
टूट गया है अब धीरज का हर बाँध,
जब खुनी दरिंदों ने बोले अपशब्द मेरी माँ के नाम ,
तुम नीच क्या टुकड़े करोगे मेरी भारत माँ के,
अंग्रेजों ने कोशिश की, उन्हें भगा दिया हमने मारके |
तुम भी मुंह की खाओगे अब, जिनका पेशा है दलाली,
जिस मुंह से ऊगली है अकथनीय गंदगी ,
दी है अपनी ही मातृभूमि को गन्दी गाली,
उसी से आएँगी अब खून की उल्टियाँ मव्वाली |
तुम्हारे रगों में खून नहीं इंसान का,
भरा हुआ है ज़हर गद्दार कपटियों का,
पिया नहीं है दूध तुमने माँ का कभी,
पले बढ़े हो नमकहरामी के दलदल में ही |
संभल जा सुधर जा भाग ले दुम दबाके,
मौत आई है तुम्हारी अब ज़ोर लगाके,
बहुत देर तक धरा है धीरज अच्छाई ने सांस रोकके,
लेकिन अब वक़्त आया गया है पापियों के जड़ों को उखाड़ने के।
अब नहीं बचेगा कोई भी पापी कोई भी देशद्रोही,
अपनी माँ का ही अपमान करने वाले नीच प्राणी,
लागलो अपनी सारी ताकत तुम इंसानी मुखौटे के राक्षसों ,
हर युग में हुआ है तुम्हारा ही संहार यह याद रखो |
न तोड़ पाया है कोई भारत को हज़ारों सालों में ,
कोशिश की है इतिहास में बहुत सी दुष्ट ताकतों ने ,
दिखाने अपनी ताकत, फ़ौज लेकर आये, बंदूकें भी चलायीं ,
पर कोई भी नहीं टिक पाया सबने मुंह की खायी |
सीख ले कुछ इतिहास से ही ऐ मूर्ख ,
अब तेरी बारी है पीटने की ऐ धूर्त ,
मिटटी में तू मिल जाएगा तेरा नमो निशाँ न बचेगा ,
भारत माँ के खिलाफ उठा हर सिर कट के गिर जायेगा |
रावण मरा राम के हाथों, कृष्ण ने मिटा दिया कंस को ,
मेरी माँ महिषासुरमर्दिनि के आगे क्या टिकेगा वह महिषासुर ,
अपने बच्चों की रक्षा के लिए मिटा देती है वह हर पापी ,
फिर तुम्हारी क्या? तुम तो छोटे प्यादे हो|
विनाशकाल में विपरीत बुद्धि के मारे हो।
जय हिन्द
जय माँ महिषासुरमर्दिनि
जय जगदम्ब जय दुर्गे
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